Sunday 19 June 2011

सही रोजगार का चुनाव जन्मकुंडली अनुसार

इन्सान को न केवल जिन्दा रहने बल्कि जीवन की गाडी को गतिमान बनाए रखने के लिए भी अपने लिए किसी सही रोजगार का चुनाव करना वैसा ही आवश्यक है, जैसा किसी मुसाफिर के लिए यात्रा से पूर्व अपने गंतव्य स्थल की दिशा निश्चित कर लेना. अगर हम यात्रा आरम्भ करने से पहले अपनी दिशा निश्चित न करें तो हम कभी एक ओर चलेंगें,कभी दूसरी ओर; कभी दायें तो कभी बायें, कभी आगे को तो कभी पीछे को. इसका परिणाम यह होगा कि बहुत समय तक घूमते रहकर भी गंतव्य तक न पहुँच पायेंगें. होगा यही कि जिस स्थान से चलना आरम्भ किया, उसके आसपास ही चक्कर लगाते रहेंगें अथवा यह भी सम्भव है कि रवानगी की जगह से भी शायद कुछ कदम पीछे हट जायें. यात्री के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह पहले से यह स्थिर कर ले कि उसे किस दिशा में कदम बढाने है. इसी तरह व्यक्ति को अपने कैरियर के विषय में निर्णय लेने से पूर्व ये जान लेना चाहिए कि उसके भाग्य में किस माध्यम से धन कमाना लिखा है अर्थात उसकी जन्मकुंडली अनुसार उसे किस कार्यक्षेत्र में जाना है.
विषय पर आगे बढने से पूर्व एक बात स्पष्ट कर देना चाहूँगा कि यहाँ इस आलेख के माध्यम से मैं आप लोगों को कोई ऎसा किताबी ज्ञान देने नहीं जा रहा हूँ कि फलानी-फलानी राशि वालों को फलाना व्यवसाय करना चाहिए अथवा फलानी राशि वाले अमुक क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं या नहीं, या फिर ये कि आपको कैरियर हेतु किस क्षेत्र का चुनाव करना चाहिए ? मैं आपको ऎसा कुछ भी नहीं बताने जा रहा. बल्कि मैं तो यहाँ आपको ज्योतिष की वो विधि बताने जा रहा हूँ जिसके द्वारा किसी व्यक्ति की जन्मपत्रिका देखकर इस बात को साफ-स्पष्ट शब्दों में दावे सहित कहा जा सकता है कि इस व्यक्ति के भाग्य में आजीविका हेतु अमुक क्षेत्र में जाना निश्चित है और समय आने पर उसका प्रारब्ध उसे उस कार्यक्षेत्र में खीँच कर ले ही जाएगा. शर्तिया!

दरअसल एक ओर तो धन के लोभ और दूसरे लाल-काली-पीली किताबों नें आज ज्योतिष विद्या को पूरी तरह से सम्भावनाओं का शास्त्र बना छोडा है. आज स्थिति ये है कि अपने नाम के आगे आचार्य, महर्षि और ज्योतिषमर्मज्ञ जैसी उपाधियाँ लगाए रखने वाले बडे-बडे स्वनामधन्य ज्योतिषी भी अपने आपमें इतनी योग्यता नहीं रखते कि वो जन्मकुंडली देखकर एक भी बात दावे सहित कह सकें कि ऎसा होगा ही या फिर ऎसा नहीं होगा. 'संभावना' शब्द के जरिए स्वयं के बच निकलने का रास्ता वो पहले तैयार रखते हैं. ताकि कल को फलकथन मिथ्या सिद्ध हो तो भी बच कर साफ निकला जा सके.  

बहरहाल हम बात कर रहे हैं व्यक्ति के रोजगार(Profession) की. चाहे लाल-किताब हो अथवा वैदिक ज्योतिष, अधिकतर ज्योतिषी व्यक्ति के कार्यक्षेत्र, रोजगार के प्रश्न पर विचार करने के लिए जन्मकुंडली के दशम भाव (कर्म भाव) को महत्व देते हैं. वो समझते हैं कि जो ग्रह दशम स्थान में स्थित हो या जो दशम स्थान का अधिपति हो, वो इन्सान की आजीविका को बतलाता है. अब उनके अनुसार यह दशम स्थान सभी लग्नों से हो सकता है------जन्मलग्न से, सूर्यलग्न से या फिर चन्द्रलग्न से, जिसके दशम में स्थित ग्रहों के स्वभाव-गुण आदि से मनुष्य की आजीविका का पता चलता है. जबकि ऎसा बिल्कुल भी नहीं होता. ये पूरी तरह से गलत थ्योरी है.
दशम स्थान को ज्योतिष में कर्म भाव कहा जाता है, जो कि दैवी विकासात्मक योजना (Evolutionary Plan) का एक अंग है.यहाँ कर्म से तात्पर्य इन्सान के नैतिक अथवा अनैतिक, अच्छे-बुरे, पाप-पुण्य आदि कर्मों से है. दूसरे शब्दों में इन कर्मों का सम्बन्ध धर्म से, भावना से तथा उनकी सही अथवा गलत प्रकृति से है न कि पैसा कमाने के निमित किए जाने वाले कर्म(रोजगार) से.
आगामी लेख में ज्योतिष के जिज्ञासुओं और विद्यार्थियों का उस विधि से परिचय कराया जाएगा जिसके माध्यम से व्यक्ति की जन्मकुंडली को एक नजर भर देखकर ही उसकी आजीविका के बारे में बताया जा सकता है.

Pandit Gaurav Acharya (astrologer)
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