ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की आयु जानने के अनेक विधियां प्रचलित है. जिनमें से कुछ को विशेष रुप से प्रयोग भी किया जाता है. आयु का निर्धारण करना नैतिक नियमों से उचित नहीं जान पडता परन्तु अगर किसी की जन्म कुण्डली में अल्पायु योग है
तथा ऎसे व्यक्ति के मन में अपनी आयु को लेकर किसी प्रकार की कोई चिन्ता न रहे इसके लिये इस विधि से भी फल विचार कर लेना चाहिए. जन्म कुण्डली तथा सूर्य चक्र (Sun Chakra) जब दोनों ही विधियों से इस प्रकार के निष्कर्ष आ रहे हों तो सम्भावनाओं को निश्चित समझना चाहिए. अन्यथा इस विषय को लेकर मन में भ्रम का भाव नहीं रखना चाहिए.
अन्य विधियों के साथ-साथ सूर्य चक्र (Sun Chakra) विधि भी आयु निर्धारण (Longevity through Sun Chakra ) के लिये प्रयोग में लाई जाती है. आईये इस विधि को विस्तार में समझने का प्रयास करें.
यह विधि जन्म के सूर्य नक्षत्र पर आधारित होती है. जन्म कुण्डली में सूर्य जिस नक्षत्र में स्थित होता है. उस नक्षत्र से सूर्य चक्र (Sun Chakra) में नक्षत्रों की स्थापना आरम्भ की जाती है. सूर्य चक्र (Sun Chakra) के लिये एक मानवाकृ्ति बनाई जाती है. तथा उस मानवाकृ्ति पर सूर्य नक्षत्र को सबसे पहले स्थापित किया जाता है. शेष नक्षत्र सिर से लेकर पैरों तक स्थापित किये जाते है. अन्य नक्षत्र इस प्रकार रखे जाते है.
बनाई गई मानवाकृ्ति के सिर पर सूर्य नक्षत्र व इसके बाद के दो नक्षत्र रखे जाते है. मुंह में इसके बाद के तीन नक्षत्र, दोनों कन्धों पर एक-एक नक्षत्र रखा जाता है. दोनों बाजूओं पर एक-एक नकत्र रखा जाता है. इसके बाद हथेलियों पर भी एक-एक नक्षत्र रखा जाता है. इसके बाद के एक -एक नक्षत्र पिंडलियों पर स्थापित किये जाते है.
इसी क्रम से आगे आने वाले नक्षत्रों में क्रमश: पांच नक्षत्र ह्रदय, एक नाभि, एक नाभि के नीचे के भाग पर, एक-एक नक्षत्र घुटनों में रखा जाता है. शेष छ: नक्षत्रों को पैर के पंजों में तीन -तीन करके रखा जाता है. कुल मिला के 28 नक्षत्र इस मानवाकृ्ति पर स्थापित कर दिये जाते है.
सूर्य चक्र पद्वति में नक्षत्रों की स्थापना करने के बाद जन्म नक्षत्र शरीर के जिस अंग पर आता है. उसके अनुसार व्यक्ति को फल मिलने की सम्भावनाएं रहती है. जन्म नक्षत्र के अनुसार फल इस प्रकार प्राप्त हो सकते है.:-
1. सिर स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Head Point)
सिर पर जन्म नक्षत्र आने पर व्यक्ति को राजयोग के समान फल प्राप्त होने की संभावनाएं रह्ती है. तथा ऎसे व्यक्ति की आयु भी 100 वर्ष से अधिक कही गई है.
2. मुख स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Mouth Point)
जब जन्म नक्षत्र मुख पर आने पर व्यक्ति को जीवन में उतम भोजन का सुख प्राप्त होने के योग बनते है. तथा इस योग के व्यक्ति की आयु 80 वर्ष से अधिक मानी गई है.
3. कन्धों के स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Shoulder Point)
कन्धों में जन्म नक्षत्र स्थापित होने पर व्यक्ति को उतम वाहनों का सुख विशेष रुप से प्राप्त होता है. तथा इस योग के व्यक्ति की आयु भी 80 वर्ष से अधिक कही गई है.
4. भुजा स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Shoulder Point)
सूर्य चक्र (Sun Chakra) में जिस व्यक्ति का जन्म नक्षत्र भुजा पर आता है उस व्यक्ति को जीवन में अपने जन्म स्थान से दूर निवास करना पड सकता है. तथा ऎसे व्यक्ति की आयु 77 वर्ष से अधिक होने की संभावना रहती है.
5. हथेली पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Palm Point)
जब सूर्य चक्र में जन्म नक्षत्र हथेली पर पडता है, तब व्यक्ति को जीवन में कई बार अपयश का सामना करना पडता है. तथा इस योग के व्यक्ति की आयु भी 77 वर्ष होने की संभावनाएं बताई गई है.
6. पिण्डलियों पर जन्म नक्षत्र के फल Results for placement of Surya Nakshatra on the Shank Point)
जन्म नक्षत्र जब पिण्डलियों में आयें तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में अस्थिरता रहने की सम्भावनाएं बनती है. तथा यह योग व्यक्ति को अल्पायु भी बनाता है.
7. ह्रदय स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Heart Point)
सूर्य चक्र में जन्म नक्षत्र जब ह्रदय स्थान पर पडें तो व्यक्ति को जीवन में सुख-सम्मान प्राप्त होने के योग बनते है. तथा इस योग के व्यक्ति की आयु 68 वर्ष से अधिक कही है.
8. नाभि स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Navel Point)
जन्म नक्षत्र की स्थिति नाभि स्थान पर होने पर व्यक्ति में थोडे में संतुष्ट होने का भाव पाया जाता है. व उसकी आयु भी 68 वर्ष से अधिक होने की सम्भावना रहती है.
9. नाभि के नीचे के स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra Below the Navel Point)
जन्म नक्षत्र जब नाभि के नीचे के भाग पर स्थापित होने पर व्यक्ति में चारित्रिक विशेषताएं कम होने की सम्भावनाएं रहती है. व इस योग के व्यक्ति की आयु 60 वर्ष से अधिक हो सकती है.
10. घुटने स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Knee Point)
सूर्य चक्र में नक्षत्रों की स्थापना करते समय जब जन्म नक्षत्र घुटने पर स्थापित हों तो व्यक्ति विदेश जाना अधिक पसन्द करता है. तथा उसे परिवार से दूर रहना पड सकता है. इस योग के व्यक्ति की आयु में कुछ कमी हो सकती है.
11. पैर स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Foot Point)
अन्त में जब जन्म नक्षत्र पैरों पर पडे तो व्यक्ति को धन सम्बन्धी परेशानियां हो सकती है. तथा उसकी आयु में भी कमी रहने की संभावना बनती है.
तथा ऎसे व्यक्ति के मन में अपनी आयु को लेकर किसी प्रकार की कोई चिन्ता न रहे इसके लिये इस विधि से भी फल विचार कर लेना चाहिए. जन्म कुण्डली तथा सूर्य चक्र (Sun Chakra) जब दोनों ही विधियों से इस प्रकार के निष्कर्ष आ रहे हों तो सम्भावनाओं को निश्चित समझना चाहिए. अन्यथा इस विषय को लेकर मन में भ्रम का भाव नहीं रखना चाहिए.
अन्य विधियों के साथ-साथ सूर्य चक्र (Sun Chakra) विधि भी आयु निर्धारण (Longevity through Sun Chakra ) के लिये प्रयोग में लाई जाती है. आईये इस विधि को विस्तार में समझने का प्रयास करें.
सूर्य जन्म नक्षत्र आधारित पद्वति (Basis of Surya Janam Nakshatra)
यह विधि जन्म के सूर्य नक्षत्र पर आधारित होती है. जन्म कुण्डली में सूर्य जिस नक्षत्र में स्थित होता है. उस नक्षत्र से सूर्य चक्र (Sun Chakra) में नक्षत्रों की स्थापना आरम्भ की जाती है. सूर्य चक्र (Sun Chakra) के लिये एक मानवाकृ्ति बनाई जाती है. तथा उस मानवाकृ्ति पर सूर्य नक्षत्र को सबसे पहले स्थापित किया जाता है. शेष नक्षत्र सिर से लेकर पैरों तक स्थापित किये जाते है. अन्य नक्षत्र इस प्रकार रखे जाते है.
नक्षत्र स्थापना (Formation of the Surya Nakshatra)
बनाई गई मानवाकृ्ति के सिर पर सूर्य नक्षत्र व इसके बाद के दो नक्षत्र रखे जाते है. मुंह में इसके बाद के तीन नक्षत्र, दोनों कन्धों पर एक-एक नक्षत्र रखा जाता है. दोनों बाजूओं पर एक-एक नकत्र रखा जाता है. इसके बाद हथेलियों पर भी एक-एक नक्षत्र रखा जाता है. इसके बाद के एक -एक नक्षत्र पिंडलियों पर स्थापित किये जाते है.
इसी क्रम से आगे आने वाले नक्षत्रों में क्रमश: पांच नक्षत्र ह्रदय, एक नाभि, एक नाभि के नीचे के भाग पर, एक-एक नक्षत्र घुटनों में रखा जाता है. शेष छ: नक्षत्रों को पैर के पंजों में तीन -तीन करके रखा जाता है. कुल मिला के 28 नक्षत्र इस मानवाकृ्ति पर स्थापित कर दिये जाते है.
जन्म नक्षत्र की भूमिका (Role of Janm Nakshatra)
सूर्य चक्र पद्वति में नक्षत्रों की स्थापना करने के बाद जन्म नक्षत्र शरीर के जिस अंग पर आता है. उसके अनुसार व्यक्ति को फल मिलने की सम्भावनाएं रहती है. जन्म नक्षत्र के अनुसार फल इस प्रकार प्राप्त हो सकते है.:-
सूर्य चक्र के फल (Results For Surya Nakshatra)
1. सिर स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Head Point)
सिर पर जन्म नक्षत्र आने पर व्यक्ति को राजयोग के समान फल प्राप्त होने की संभावनाएं रह्ती है. तथा ऎसे व्यक्ति की आयु भी 100 वर्ष से अधिक कही गई है.
2. मुख स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Mouth Point)
जब जन्म नक्षत्र मुख पर आने पर व्यक्ति को जीवन में उतम भोजन का सुख प्राप्त होने के योग बनते है. तथा इस योग के व्यक्ति की आयु 80 वर्ष से अधिक मानी गई है.
3. कन्धों के स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Shoulder Point)
कन्धों में जन्म नक्षत्र स्थापित होने पर व्यक्ति को उतम वाहनों का सुख विशेष रुप से प्राप्त होता है. तथा इस योग के व्यक्ति की आयु भी 80 वर्ष से अधिक कही गई है.
4. भुजा स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Shoulder Point)
सूर्य चक्र (Sun Chakra) में जिस व्यक्ति का जन्म नक्षत्र भुजा पर आता है उस व्यक्ति को जीवन में अपने जन्म स्थान से दूर निवास करना पड सकता है. तथा ऎसे व्यक्ति की आयु 77 वर्ष से अधिक होने की संभावना रहती है.
5. हथेली पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Palm Point)
जब सूर्य चक्र में जन्म नक्षत्र हथेली पर पडता है, तब व्यक्ति को जीवन में कई बार अपयश का सामना करना पडता है. तथा इस योग के व्यक्ति की आयु भी 77 वर्ष होने की संभावनाएं बताई गई है.
6. पिण्डलियों पर जन्म नक्षत्र के फल Results for placement of Surya Nakshatra on the Shank Point)
जन्म नक्षत्र जब पिण्डलियों में आयें तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में अस्थिरता रहने की सम्भावनाएं बनती है. तथा यह योग व्यक्ति को अल्पायु भी बनाता है.
7. ह्रदय स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Heart Point)
सूर्य चक्र में जन्म नक्षत्र जब ह्रदय स्थान पर पडें तो व्यक्ति को जीवन में सुख-सम्मान प्राप्त होने के योग बनते है. तथा इस योग के व्यक्ति की आयु 68 वर्ष से अधिक कही है.
8. नाभि स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Navel Point)
जन्म नक्षत्र की स्थिति नाभि स्थान पर होने पर व्यक्ति में थोडे में संतुष्ट होने का भाव पाया जाता है. व उसकी आयु भी 68 वर्ष से अधिक होने की सम्भावना रहती है.
9. नाभि के नीचे के स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra Below the Navel Point)
जन्म नक्षत्र जब नाभि के नीचे के भाग पर स्थापित होने पर व्यक्ति में चारित्रिक विशेषताएं कम होने की सम्भावनाएं रहती है. व इस योग के व्यक्ति की आयु 60 वर्ष से अधिक हो सकती है.
10. घुटने स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Knee Point)
सूर्य चक्र में नक्षत्रों की स्थापना करते समय जब जन्म नक्षत्र घुटने पर स्थापित हों तो व्यक्ति विदेश जाना अधिक पसन्द करता है. तथा उसे परिवार से दूर रहना पड सकता है. इस योग के व्यक्ति की आयु में कुछ कमी हो सकती है.
11. पैर स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Surya Nakshatra on the Foot Point)
अन्त में जब जन्म नक्षत्र पैरों पर पडे तो व्यक्ति को धन सम्बन्धी परेशानियां हो सकती है. तथा उसकी आयु में भी कमी रहने की संभावना बनती है.
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